Ambedkar Jayanti 2023: क्यों हर साल मनाई जाती है अंबेडकर जयंती, जानें इसका इतिहास और महत्व

 Fri, Apr 14, 2023

Ambedkar Jayanti 2023 हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। यही वह दिन है जब देश के संविधान निर्माता डा. भीम अंबेडकर का जन्म हुआ था। उनके संघर्षपूर्ण जीवन को याद करते हुए हर साल भीम जयंती मनाई जाती है।

Ambedkar Jayanti 2023


नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Ambedkar Jayanti 2023: देशभर में हर साल बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। भारत में उनकी कड़ी मेहनत और योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।

भीमराव अंबेडकर का पूरा जीवन संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान के निर्माण में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया।

डॉ. भीमराव अंबेडकर एक राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, मानवविज्ञानी और समाज सुधारक थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाकर दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। डॉ. अंबेडकर शिक्षा के माध्यम से समाज के कमजोर, मजदूर और महिला वर्ग को सशक्त बनाना चाहते थे।

अंबेडकर जयंती का इतिहास (Ambedkar Jayanti History)


जनार्दन सदाशिव रणपिसे, अंबेडकर के एक प्रबल अनुयायी और एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने 14 अप्रैल, 1928 को पुणे में पहली बार डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को मनाने की परंपरा शुरू की और तब से भारत हर साल 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश के रूप में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है।

अंबेडकर जयंती का महत्व (Ambedkar Jayanti Significance)

अंबेडकर जयंती का महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि यह जाति आधारित कट्टरता की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी हमारे समाज में कायम है। हम इस दिवस को मनाकर वंचितों के उत्थान में बाबासाहेब के योगदान को याद करते हैं। उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जो जाति, धर्म, नस्ल या संस्कृति की परवाह किए बिना सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। अंबेडकर ने अछूतों के बुनियादी अधिकारों और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय संस्था बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया, साथ ही दलितों को सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति और हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार प्रदान करने के लिए भी आंदोलन किया।


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